Submitted by Dr DS Sandhu on Fri, 12/23/2022 - 07:47
Endomerrial Polyp

अशोकनगर : मुझे बहुत अच्छे से याद है सन् 2009 में मेरे पास मेरे मिलने वाले एक परिचित सज्जन आकर बहुत दुखी स्वर में बोले -"सर मैं अपनी पत्नि की बीमारी को लेकर अत्यंत परेशान हूँ, जिसके इलाज में लाखों रुपये लगा दिये, एक से एक स्त्री रोग विशेषज्ञों से इलाज भी कराया, किंतु ठीक होना तो दूर की बात,अब वो बोल रही हैं कि पत्नी के बच्चेदानी का ऑपरेशन होगा। यदि एक महिने में ऑपरेशन नहीं कराया तो कभी भी ट्यूमर फट सकता है। अब मैं बहुत ही आशा लेकर आपके पास आया हूँ कि सर आप निश्चित ही  मेरी इस खतरनाक परेशानी को बिना ऑपरेशन ठीक करके असमय मौत के मुँह में जाने से मेरे छोटे- छोटे बच्चों की माँ को बचा लेंगे!परिचित की सारी बातें ध्यान पूर्वक सुनने के साथ ही मैंने उन्हें दिलासा देते हुए समझा कि      - "आप निराश बिल्कुल भी न हों,आपकी धर्मपत्नी एकदम बिना किसी चीरफाड़ के एकदम स्वस्थ्य हो जायेगी, बस आपको अपना हौंसला रखते हुए समयानुसार जैसा में बताऊँ, आप वैसा ही करते रहना है !" यह भी सौ प्रतिशत सही है कि जब व्यक्ति सब दूर से हार थककर परेशान हो जाता है, तो फिर वो सामने वाले पर अपना भरोसा करता ही है,ठीक वैसे ही परिचित ने मेरी बात को स्वीकार किया तथा मेरे द्वारा बताई परामर्श ने ऐसा चमत्कार किया कि उनकी पत्नी गर्भाशय पॉलीप्स की समस्या सहित अन्य शारीरिक परेशानियों से मुक्ति पाकर, फिर से एक और स्वस्थ्य पुत्र को सामान्य प्रसव देने में सफल रही ।   

     सर्व प्रथम तो यह समझना आवश्यक है कि मेनोपॉज अर्थात रजोनिवृत्ति कोई बीमारी नहीं है। फिर भी इसके कुछ लक्षण हैं जो मानसिक और शारीरिक रूप से कभी - कभी कठिन एवं चुनौती पूर्ण हो सकते हैं। रजोनिवृत्ति को कम से कम एक वर्ष की अवधि के लिए अवधि की पूर्ण समाप्ति के रूप में परिभाषित किया गया है।  किसी भी रक्तस्राव को रजोनिवृत्ति के पश्चात असामान्य माना जाता है और मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। पेरिमेनोपॉज़ल और रजोनिवृत्ति आयु वर्ग में इस तरह के रक्तस्राव का सबसे आम कारण एंडोमेट्रियल या अंतर्गर्भाशयी पॉलीप्स है। आइए यूटेराइन पॉलीप्स को समझते हैं और इससे कैसे निपटा जा सकता है,इस पर भी चर्चा कर ही लेते हैं!

गर्भाशय पॉलीप्स :- यूटेराइन पॉलीप्स यह छोटे-छोटे विकास होते हैं, जो गर्भाशय की भीतरी दीवार में बनते हैं और फिर धीरे-धीरे बढ़ते हुए गर्भाशय गुहा को भी भर देते हैं। यह सिंगल या मल्टीपल हो सकते हैं। एंडोमेट्रियम या गर्भाशय की कोशिकाओं की आंतरिक परत इसका कारण बनती है। ये पॉलीप्स कैंसर नहीं हैं,किन्तु कभी -कभी इनसे परे यह संभावना होती कि कुछ पॉलीप्स कैंसर भी हो सकते हैं। जिन्हें प्री-कैंसरस पॉलीप्स कहा जाता है। यह कुछ कुछ मिलीमीटर के हो सकते हैं, जबकि कुछ गोल्फ की गेंद के आकार के भी हो सकते हैं। यह एक गर्भाशय पॉलीप अथवा कई- कई भी हो सकते हैं। आमतौर पर  वे गर्भाशय में ही समाहित रहते हैं। कभी-कभी देखने में आता है कि वे गर्भाशय की दीवार से बहुत बड़े आधार तो कभी-कभी पतले डंठल की तरह से जुड़े होते हैं।

इसके क्या लक्षण हैं :- अप्रत्याशित मासिक धर्म रक्तस्राव, अनियमित एवं बार-बार भारी मासिक रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति के बाद भी योनि से खून बहना, युवतियों में उप-बांझपन,संभोग के बाद रक्तस्राव अगर यह एक ग्रीवा पॉलीप अथवा अंतर्गर्भाशयी पॉलीप योनि में आगे बढ़ रहा है। अनियमित रक्तस्राव होता है या फिर रजोनिवृत्ति के बाद कोई रक्तस्राव सामान्य नहीं होता है और मासिक धर्म से पूर्व या उसके पश्चात में कोई भी स्पॉटिंग भी एक संकेत है कि तब ऐसे समय किसी भी योग्य महिला चिकित्सक से मिलना चाहिए। क्योंकि अनियमित मासिक धर्म रक्तस्राव होता है, तो निश्चित ही किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने की अत्यंत आवश्यकता होती है।

यह हो सकते हैं संभावित कारण :- गर्भाशय पॉलीप्स एस्ट्रोजेन-संवेदनशील प्रतिक्रिया का ही दुष्परिणाम हैं कि प्रति माह महिला के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता और गिरता है और यह गर्भाशय की परत से संबंधित हो सकता है। तथा एस्ट्रोजन इसे गाढ़ा कर सकता है, फिर मासिक धर्म आने पर दीवार को बहा सकता है। परन्तु गर्भाशय के अस्तर में जब अतिवृद्धि होती है, तब पॉलीप होता है।

    पॉलीप्स होने का एक अन्य कारण आयु कारक है। जब कोई महिला रजोनिवृत्ति की आयु के नजदीक हो या वो पहले ही रजोनिवृत्ति पूरी कर चुकी हो, तब तो वो काफी सामान्य हैं, कि हार्मोनल स्तरों में विभिन्न परिवर्तनों के कारण  ऐसा कुछ हो सकता है। क्योंकि इस चरण के दौरान पॉलीप्स विकसित होते हैं,यदि वे पेरी-मेनोपॉज़ल हैं या रजोनिवृत्ति तक पहुँच चुकी हैं।     यदि पीड़ित महिला उच्च रक्तचाप के साथ मोटापा से ग्रसित है और स्तन कैंसर का इलाज करवाते हुए टैमोक्सीफेन ले रही है(जो स्तन कैंसर के उपचार के लिए एक दवा है) तो यह भी एंडोमेट्रियल हाइपर प्लासिया का कारण बन सकती है।

यह रहे निदान के तरीके:-हिस्टेरोसोनोग्राफी, हिस्टेरो स्कोपी, एवं ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड, इस स्थिति का निदान करने के प्रमुख तीन तरीके हैं।

1. हिस्टोरोसोनोग्राफी :-  यह एक प्रक्रिया है जिसे सोनोहिस्टेरोग्राफी भी कहा जाता है। इसमें आपके गर्भाशय में खारा इंजेक्ट करना शामिल है, जो गर्भाशय गुहा को चौड़ा करता है और इससे डॉक्टर को गर्भाशय के बारे में स्पष्ट जानकारी देने में मदद मिलती है।

2.हिस्टेरोस्कोपी:- इसके करने के लिए संबंधित चिकित्सक योनि एवं गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से गर्भाशय में एक पतली और रोशनी वाली दूरबीन डालते हैं। यह हिस्टेरोस्कोपी चिकित्सक को गर्भाशय के अंदर जांच करने के साथ उसके अंदर की जानकारी प्रदान करता है।

3.ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड :- नामक परिक्षण करने के लिए संबंधित चिकित्सक रोगी की योनि में एक पतली छड़ी जैसी डिवाइस डालता है, जो यहां से यह डिवाइस ध्वनि तरंगों का उत्सर्जन करती है। तथा आंतरिक भाग सहित गर्भाशय की तस्वीर दिखाती है। जिससे यह चिकित्सक गर्भाशय पॉलीप की पहचान कर सकता है।

गर्भाशय पॉलीप्स की चिकित्सा:-यदि महिला रोगी को छोटे-छोटे पॉलीप्स हैं तो उस महिला रोगी को किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि वे अपने आप ठीक हो सकते हैं। इसके अलावा, इन छोटे पॉलीप्स का उपचार तब तक आवश्यक नहीं है जब तक कि चिकित्सक ने गर्भाशय के कैंसर के संभावित खतरे का पता नहीं लगाया हो । लक्षणों को कम करने के लिए आपको प्रोजेस्टेरोन आधारित दवाएं दी जा सकती हैं लेकिन यह पॉलीप को नहीं हटाती है। पॉलीप को हटाने के लिए निश्चित उपचार है और इसे करने का आदर्श तरीका हिस्टेरोस्कोपिक द्वारा निर्देशित पॉलीप से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि यह आश्वासन देता है कि पूरा पॉलीप हटा दिया गया है एवं अब अन्य  प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं है। सूक्ष्म परीक्षण के दौरान, यदि  कोई कैंसरयुक्त कोशिकाएँ मिलती हैं, तो चिकित्सक अगले संभावित कदमों के बारे में बात कर सकती है। एक बार हटा देने के पश्चात, पॉलीप्स को आमतौर पर किसी और उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। किन्तु वे यदि पुनरावृत्ति करते हैं, तो फिर से इन पॉलिप्स के इलाज की महत्ती आवश्यकता हो सकती है।

गर्भाशय पॉलीप्स के रोकथाम:-गर्भाशय पॉलीप्स वाली स्थिति की पहचान करने के लिए नियमित रूप से स्त्री रोग विशेषज्ञ से संबंधित जांच कराते रहना ही उचित रहता हैं। क्योंकि यह सुनिश्चित करना भी जरूरी होता है कि कोई जोखिम कारक तो नहीं है, जो पॉलीप्स को बढ़ाने की संभावनाओं को विकसित कर रहा है।

 निष्कर्ष:-मैंने देखा है कि अधिकांशतः एक से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ भी वास्तव में गर्भाशय या एंडोमेट्रियल पॉलीप्स का सटीक कारण नहीं जानती है। क्योंकि यह उन महिलाओं में भी पाया गया है जिनके कोई लक्षण नहीं हैं। यदि गर्भाशय में पॉलीप्स हैं तो नियमित रूप से उसकी जांच करवाना और अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना सबसे अच्छा है। वहीं मेरे दृष्टिकोण एवं अनुभव से मैं कह सकता हूँ कि जब किसी महिला में संकोचन शक्ति की कमी कतिपय कारणों से आती है तो उसे उक्त प्रकार की समस्याएं घेर लेतीं हैं। जिनके प्रमुख कारक हैं 'फ्लोर-स्पार' (Ca.F2) अर्थात फ्लोराइड ऑफ लाइम तथा 'फास्फेट ऑफ लाइम'Ca3(PO4)2 के साथ- साथ 'पोटेशियम क्लोराइड' (KCL) तथा 'फॉस्फेट ऑफ पोटाश' (K2HPO4 ) की शरीर में कमी अर्थात कतिपय कारणों से पर्याप्त मात्रा में नहीं होने से महिलाओं को गर्भाशय पॉलीप्स की शिकायतें होती हैं। यदि कोई सुधी स्त्री रोग विशेषज्ञ इस बात पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुये अपने विवेक का समुचित उपयोग करती हैं तो निश्चित ही वो गर्भाशय पॉलिप्स जैसी अनेक महिला व्याधियों को बिना किसी शल्यक्रिया के ठीक करने में सफलता पा सकती हैं,जैसे की मेरे परिचित ने अपनी धर्मपत्नी के गर्भाशय को शल्यक्रिया होने से पूर्णताः बचाया!