पंजाब से आराम्भ हो हरियाणा, राजस्थान,हिमाचल, उत्तराखंड़ उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश सहित सारे देश में इतनी प्रचंडता के साथ इन तीन कृषि कानूनों का रफ्ता-रफ्ता किसानों ,मजदूरों, नौजवानों के साथ साथ आम जन में विरोध बढ़ता ही चला जा रहा है। जिसमें सौ के लगभग आंदोलनकारी महिला-पुरष, वृद्ध जवान अभी तक शहीद हो चुके हैं।सरकार ने अपनी पूरी दम लगा दी कि किसान कैसे तो भी आंदोलन बंद करके चुपचाप घर बैठ जायें और वो अपनी मन मर्जी करते हुए तथा कृषि सुधार के नाम पर यह नये कृषि कानून थोप दिये जायें, जिसे आंदोलनकारी काले कानून बोल रही है।वहीं देश की केंद्र सरकार कह रही है कि हम मंडियों में सुधार के लिए यह कानून लेकर आ रहे हैं।किन्तु, सच में देखा जाये तो कानून में कहीं भी मंडियों की समस्याओं के सुधार करने के इन कानूनों में कहीं से कहीं तक चर्चा नजर नहीं आ रही है।