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Submitted by Dr DS Sandhu on

अशोकनगर : स्थानीय वार्ड क्रमांक 5 (रविशंकर वार्ड )में पूजा कॉलोनी से लगी हुई खेती की जमीन सर्वे नंबर 741 रकवा 0.920 हेक्टेयर नगरीय क्षेत्र में अत्यंत कीमती कृषि भूमि अष्टभुजी माता मंदिर कबीरा रोड की है । इस माता मंदिर की कृषि भूमि को तमाम फर्जी वाडा करके घोटालेबाजों न करोड़ों रुपयों का आर्थिक एवं आपराधिक घोटाला किया है। इतना ही नहीं शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने भारी भरकम मोंटी रकम लेकर फर्जी तरीके से घोटाले बाजों का साथ ही नहीं दिया बल्कि तत्कालीन कलेक्टर एवं एसडीएमके द्वारा दिये गए एफआरआई के आदेशों को भी छुपा दिया गया है। इस आशय की लिखित शिकायत कॉमरेड बाबूलाल एडव्होकेट ने म॰प्र॰ के राज्यपाल सहित जिला प्रशासन एवं पुलिस अधीक्षक से की है।

  कॉमरेड यादव ने अपने आवेदन में तमाम तथ्यों तथा समय-समय पर भूमि सर्वे क्र॰ 741 (रकवा 0.920 हेक्टे) के संबंध में दिये गए फ़ैसलों तथा आदेशों की सत्यप्रतिलिपि संलग्न करते हुए बताया है कि उक्त मंदिर की  &कृषि भूमि को घोटालेबाज मंदिर पुजारी धर्मदास बैरागी , पुजारी के मुख्तारआम संतोष जैन कॉलोनाइजर, राकेश रघुवंशी ठेकेदार के द्वारा आर्थिक अपराध अपकृत में शामिल राजस्व न्यायालयों के साथ छलकपट करके इस आपराधिक कार्य के भ्रष्टाचार में तात्कालिक राजस्व अधिकारीयों एवं रीडर बाबूओंकी मिलीभगत रही है। जिंहोने कलेक्टर के आदेशों पर अमल नहीं किया अपितु कलेक्टर के द्वारा दोषिओं पर आपराधिक क्रत्य पुलिस में दर्ज कराने के स्थान पर कलेक्टर के आदेश को ही दबाये रखा। जो कि गैर कानूनी तरीके से अपराधियों कि मदद करते हुए मंदिर कि वेश कीमती जमीन इन भू-माफ़ियों को रजिस्ट्री कराने में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से शामिल हैं ।

    धर्मदास आखिर है कौन:- कबीरा रोड़ अष्टभुजी माता मंदिर पर पुजारी के रूप में है । जो कि अशोकनागर म॰ प्र॰ का मूल निवासी न होकर बिहार प्रदेश का निवासी तथा अपराधी मानसिकता का है। यह पुजारी धर्मदास बैरागी गुरु बजरंगदास अपराधी किस्म के लोगों तमाम लोगों के साथ रहता है। यह पूर्व में मंदिर परिसर के अंदर ही प्रतिबंधित चल-चित्र (ब्लू फिल्म)आदि के अपराध में अन्य आपराधिक मानसिकता वाले लोगों के साथ गैर कानूनी कार्य मे लिप्त होने पर अशोकनागर पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा था । जहां से इसे जेल भेजा गया और माननीय फ़ौजदारी न्यायालय ने इसके लिए सजा भी सुनाई। वर्तमान में भी इसके ऊपर आपराधिक फ़ौजदारी मामले चल रहे हैं ।  इस प्रकार यह धर्मदास मंदिर पुजारी के भेश में आपराधिक मानसिकता में संलग्न है। अतः यह व्यक्ति धर्मदास मंदिर के पुजारी योग्य कतई नहीं है। यह भू–माफ़ियों से मिलकर मंदिर की संपत्ति बर्बाद कर रहा है।

   भूमि घोटाला:- कबीरा रोड़ अष्ट भुजी माता मंदिर अशोकनागर स्वत्व वर्ष 2015-17 में शासकीय भू-अभिलेखों के पटवारी दस्तावेजों में वर्णित (अंकित )रही । जो सन 2016-17 में भूमि घोटाले के पश्चात यह भूमि संतोष कुमार पुत्र फूलचंद जैन एवं राकेश पुत्र राम सिंह रघुवंशी के नाम कागजों में कैसे अंकित हो गई ।

विक्रय की मंशा से किया दावा हुआ निरस्त:- सर्वे न॰ 741 के संबंध में विक्रय की मंशा से किया गया दावा धारा 165 भू- राजस्व संहिता के अंतर्गत जिला कलेक्टर को प्रस्तुत किया गया जो राजस्व प्रकरण 11अ 21/2006-07 मे दर्ज होकर दिनांक 16/03/2007 को इस निर्देश से निरस्त किया गया कि मंदिर के स्वामित्व कि संपत्ति   कृषि  भूमि को पुजारी अथवा प्रबन्धक को विक्रय करने का कोई भी अधिकार नहीं है।

  आदेश के विरुद्ध प्रथम अपील निरस्त :-  प्रकरण क्र॰11अ 12/2006 -07 में पारित आदेश को  16/03/2007 के विरुद्ध प्रथम अपील क्र॰228/2008-2009 अपर आयुक्त ग्वालियर के समक्ष की गई ,अपील प्रकरण में दिनांक 13/11/2009 को इस आदेश के साथ खारिज की गई कि जिला कलेक्टर का आदेश उचित है।

 दूसरी अपील भी पुनः खारिज:- माननीय राजस्व मंडल ग्वालियर म॰ प्र॰ में पुनः द्वितीय अपील प्रकरण क्र॰ 07 दो / 2010 को दायर की गई जो दिनांक 20/12/2011 को खारिज कर दोनों न्यायालयों के आदेश स्थिर रखे गए।  इस तरह से पुजार एवं मुख्तार आम को उक्त प्रकरण में राजस्व न्यायायालयों के सारे दरवाजे बंद हो चुके थे।

अपर आयुक्त में प्रथम अपील के चलते हुये भी एसडीएम ने भूमि विक्रय आदेश दिया :- पुजारी धर्मदास ने प्रथम अपील प्रकरण क्र॰ 228/2008-2009 अपर आयुक्त ग्वालियर के समक्ष चलते हुये भी एसडीएम अशोकनगर एस एस त्रिवेदी से मेल-मिलाप कर अवैध रूप से भूमि सर्वे क्र॰741 को विक्रय करने आवेदन प्रस्तुत किया। जिसे तहसीलदार एवं पटवारी से आन्न फान्न में जाँच रिपोर्ट मांगकर उनके प्रकरण क्र॰ 24ब 121/2008-09 से दिनांक 23/03/2009 को मंदिर की भूमि विक्रय का आदेश पारित कर दिया ।

 उप पंजीयन अधिकारी वर्मा ने विक्रय पत्र पर लगाई रोक :-  एसडीएम अशोकनगर एसएस त्रिवेदी के आदेश को 24/03/2009 में अमान्य करते हुये सब रजिस्ट्रार वर्मा ने इस टीप के साथ कि आधारहीन अधिकारी का यह आदेश मान्य करने योग्य नहीं है । और विक्रय पत्र सम्पादन करने से रोक लगा दी।यह अपंजीक्रत दस्तावेज 24/03/2009 से राजस्व मंडल ग्वालियर के निगरानी आदेश 29/09/2016 तक अर्थात 7वर्ष 8माह 5दिन तक अपंजीयन पैडेन्सी गैर कानूनी तरीके से वहीं पड़ी रही । यह भी पंजीयन कार्यालय का बहुत भारी दोष है।

कलेक्टर ए के तोमर के समक्ष भूमि विक्रय के लिए आवेदन प्रस्तुत :- पुजारी धर्मदास ने  तात्कालिक अशोकनगर कलेक्टर ए. के. तोमर के समक्ष उक्त भूमि विक्रय अनुमति बावत आवेदन पेश किया । जो कि प्रकरण क्र॰27बी/ 2015 -16 पर पंजीबद्ध होकर उसी तारीख पर एसडीएम अशोकनगर इच्छित गणपाले से प्रतिवेदन जाँच रिपोर्ट मंगाई गई । एसडीएम गणपाले के जाँच प्रकरण क्र॰117बी 121/2015-16 प्राप्त होने पर दिनाँक 12/07/2016 को उक्त माता मंदिर की भूमि सर्वे क्र॰741को कलेक्टर ए.के.तोमर ने अपने प्रकरण क्र॰ 27बी/121/2015-16 से दिनाँक 15/07/2016 को विक्रय करने की अनुमति दे दी ।

अपने पुनरावर्ति प्रतिवेदन में एसडीएम गणपाले ने आवेदकों पर एफआईआर दर्ज कराने कलेक्टर को दी सलाह:- अशोकनगर  एसडीएम इच्छित गणपाले ने कतिपय कारणों के सामने आने पर अपना पुनरावर्ति प्रतिवेदन प्रकरण क्र॰129बी /121/2015-16 से दिनाँक 15/07/2016 कलेक्टर के समक्ष पेश करते हुए आवेदकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की सलाह दी । जिसके आधार पर कलेक्टर अशोकनगर ए. के। तोमर ने इन घोटालेबाजों के विरुद्ध एफआईआर करने के अविलंब आदेश पारित कर दिये । परंतु इसी बीच कलेक्टर तोमर का स्थानांतरण होने के पश्चात जब बी.एस. जमोद
अशोकनगर कलेक्टर का आगमन हुआ और तब इस प्रकरण की जानकारी उनके रीडर  मनोहर दुबे ने कलेक्टर जमोद को नहीं दी । तथा 15/07/2016 को नकल दिलाकर निगरानी राजस्व मण्डल में पेश की गई।

राजस्व मण्डल सदस्य ग्वालियर ने रिकार्ड मंगाए बिना ही घोटाले में किया सहयोग:-  निगरानी प्रकरण क्र2412-दो /2016 राजस्व मण्डल सदस्य ग्वालियर म॰ प्र॰ के पीठासीन अधिकारी के.सी.जैन एवं पुजारी और उसके मुख्तार आम ने आपराधिक साजिश से दिनाँक 29/09/2016को उक्त भूमि विक्रय की अनुमति आदेश दे दिया। के.सी.जैन ने अशोकनगर कलेक्टर के 27ब 121/2015-16 रिकॉर्ड मांगे बिना ही अधिकारहीन आदेश पारित करके माता मंदिर भूमि घोटाले में सहयोगी होने का अपराध किया गया है।

अवैधानिक रूप से अपंजीक्रत लगभग 7-8 वर्ष से डले दस्तावेज़ को ही कर डाला उपयोग:- निगरानी प्रकरण 2412-दो /2015-16 में पारित आदेश दिनाँक 29/09/2016 का सहारा लेकर जिला रजिस्ट्रार एवं जिला स्टाम्प कलेक्टर अशोकनगर ने अपने प्रकरण क्र. 02/बी105 /2016-17 धारा47(क)1 का सहारा लेकर दिनाँक 09/11/2016 के दस्तावेज़ से अधिकारहीन अधिकारी के आधारहीन आदेश दिनांक 23/03/2009 से लिखा गया,आधारडीन विक्रय पत्र के दस्तावेज़ को 7वर्ष 8माह 5दिवस से गैर कानूनी रूप से पड़े हुए अपंजीक्रत को सही पंजीयन कराने का आदेश देकर जिला रजिस्ट्रार एस ॰एस॰ पाल ने पुजारी सहित उसके साथी अपराधियों को अपराध से बचाने खुद भी अपराधिक अपकृत करते हुए घोटालेबाजों,छल-कपट करने वालों का सहयोगी अपराध किया गया है । जो कि दंडनीय होने से पुलिस एफआईआर दर्ज योग्य है।                    

  माता मंदिर स्वयं माफी औकाफ़ का हिस्सा है :- यह माता मंदिर जिस भू-स्थल पर निर्मित हो लगभग 50-60 सालों से खड़ा है। वह भूमि सर्वे नंबर 848 रकवा 3.836 हेक्टर के अंश भाग पर स्थापित है । यह भूमि सर्वे न॰ 848 मंदिर श्री गिरधारी जी महाराज की यह तमाम अशोकनगर माफी औकाफ़ मंदिर की  भूमि है,जो कागजों में शासकीय अंकित है । इस माफी मंदिर का प्रबन्धक जिला कलेक्टर अशोकनगर है। अतः यह माफी औकाफ़ मंदिर श्री गिरधारी जी महाराज के स्वामित्व की भूमि पर माता मंदिर स्वतःही माफी औकाफ़ का अंग है।            

   पुजारी प्रबन्धक धार्मिक संस्थानो की संपत्ति विक्रय नहीं कर सकते:- भारतीय कानून एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी धर्मों में (मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारों,एवं गिरजाघरों में) स्थापित उनके ईष्टों को ‘विधिक व्यक्ति (चीर स्थायी अल्पव्यस्क) मान्य किया गया है। देश की किसी भी राजस्व न्याय व्यवस्था में किसी भी राजस्व अधिकारियों के पीठासीन अधिकारियों को उक्त धार्मिक संस्थानों की किसी भी चल अचल परिसंपत्तियों को मंदिर पुजारी सहित प्रबन्धकों द्वारा विक्रय पत्र कराने का अधिकार नहीं है । और न ही राजस्व न्यायालयों को विक्रय पत्र की अनुमति प्रदान करने का अधिकार है । पुजारी तथा प्रबन्धक सिर्फ संस्थानों में चढ़ोतरी से ही अपना जीवनोपार्जन कर सकते हैं। अतः किसी भी पुजारी व उसके मुख्तारआम को कोई हक नहीं है कि वे मंदिर की किसी भी संपत्ति का विक्रय पत्र संपादित कर सकें ।  

मंदिर की संपत्ति मिली भगत से पुजारी ने अपने ही मुख्तारआमको ही बिक्री कर दी:-  यह जो माता मंदिर की सर्वे क्र॰ 741 रकवा 0.920 हैक्टेयर चल-अचल संपत्ति है न कि धर्मदास कि व्यक्तिगत संपत्ति है। फिर भी राजस्व अधिकारियों –कर्मचारियों की मिली भगत से पुजारी धर्मदास बैरागी ने अपने ही मुख्तार आम संतोष जैन पुत्र फूलचंद जैन एवं राकेश रघुवंशी पुत्र राम सिंह रघुवंशी (ठेकेदार)तुलसी सरोवर कॉलोनी अशोक नगर के लिए विक्रय पत्र करा दी गई है।

  अतः इस माता मंदिर भूमि घोटाले में शामिल प्रत्येक अपराधी के विरुद्ध अविलंब पुलिस कार्रवाई की जाए। चाहे पुजारी धर्मदास उसके साथी या फिर इस करोड़ों रूपये के भूमि घोटाले लिप्त शासकीय अधिकारी कर्मचारी क्यों न हों !