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Submitted by Dr DS Sandhu on
चमकोरगढ़ी

अशोकनगर  : यह महत्वपूर्ण बात आपको मालूम है कि नहीं ,नहीं मालूम है तो लो ध्यान से जरा सुन ही लें कि दस लाख की फौज में वो लोग कौन शामिल थे जिन्होंने दशमपिता साहिब श्री गुरू गोबिंद सिंह जी से झूठी गऊ जनेऊ और कुरान की खाई कसमें तोड़कर चमकोर की गढ़ी में चालीस सिघों के ऊपर एक साथ हमला किया था तो सुनें  यह हैं गऊऔर जनेऊ की कसमें तोड़ कर हमला करने वाले  हिन्दू पहाड़ी राजे:-   

बाईस धार हिन्दू राजाओं की फौज:-       

1.केहलूर के हिन्दू राजा की फौज. 2.हिन्दू राजा बरोली की फौज.3.हिन्दू राजा कसौली की फौज.  4.कांगड़े के हिन्दू राजा की फौज.5.हिन्दू राजा नादौण की फौज.6.नाहोन हिन्दू राजा की फौज.7.हिन्दू राजा भंबोर की फौज. 8.चंबोली हिन्दू राजा की फौज.9.जम्मू के हिन्दू राजा की फौज10.नूरपुर हिन्दू राजा की फौज.11.हिन्दू राजा जसवाल की फौज12.श्री नगर के हिन्दू राजा की फौज.13.गड़वाल के हिन्दू राजा की फौज.14.हिंगडोर हिन्दू राजा की फौज.15.मंडी के हिन्दू राजा की फौज.16.हिन्दू राजा भीमचंद की फौज।                             

इन 22 धार के राजाओं की फौज का नेतृत्व स्वयं वो भीमचंद कर रहा था जिसके दादा ताराचंद को बंदीछोड़ 6वे गुरु हरगोबिंद साहिब ने बावन राजाओं सहित जहांगीर की कैद ग्वालियर किले से आजाद कराया था । 

मुगल -मुसलमान राजे और नवाब:-               

1.सूबा सरहिंद की फौज. 2.सूबा सुल्तान की फौज.3.सूबा पेशावर की फौज. 4.नबाव मलेरकोटला की फौज.      5.सूबा लाहौर की फौज.6.कश्मीर के मुस्लिम राजे की फौज.ट 7.कमांडर -इन -चीफ मरदूद खान की फौज.    8.जरनेल नाहर खान की फौज.9.जनरल गनी खान की फौज10.जनरल मजीद खान की फौज.11.जनरल मियां खान की फौज.12.जनरल भूरे खान की फौज.13.जनरल जलील खान की फौज।      
     इस तरह से चारों तरफ से घेरा डालकर खड़ी यह तमाम सुविधाओं से युक्त 10लाख हिन्दू-मुस्लिम फौजें ,और सामने मैदान में कुल गुरु गोबिंद सिंह जी के 40 सिंघ सूर्में । जिन्होंने ने कितनी अदम्य दिलेरी से इनका डटकर मुकाबला ही नहीं किया अपितु दाँतों तले जीभ दवा कर इन्हें भागने को मजबूर कर दिया। इससे बड़ी शायद ही बहादुरी की कोई मिशाल दुनिया में मिलेगी। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि यह जंग कोई जमीन या किले के लिए नहीं लड़ी गई बल्कि यह प्रत्येक आदमी के इंसानी हकों और मानवीयता की रक्षा के लिए लड़ी गई थी ताकि अवाम आजादी से अपनी जिंदगी जी सके। पर स्वार्थ से गुरु दशमेश पिता और उनके 40 सिक्खों की इस बहादुरी की जीती जागती मिशाल है चमकोर गढ़ी !